Vaishno Dev हादसा: भूस्खलन में 34 की मौत, हालात गंभीर, 58 ट्रेनें रद्द, स्कूल-कॉलेज बंद

 कटरा, जम्मू-कश्मीर।

माँ वैष्णो देवी धाम की ओर जाने वाला रास्ता रविवार, 26 अगस्त को भयावह त्रासदी का गवाह बना। त्रिकुटा पर्वत पर हुए भीषण भूस्खलन ने सैकड़ों श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों की ज़िंदगी को झकझोर कर रख दिया। अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं। प्रशासन ने तुरंत प्रभाव से 58 ट्रेनों को रद्द कर दिया है और कटरा सहित आसपास के इलाकों में स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं।



कैसे हुआ हादसा?

मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि भारी बारिश से पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन की संभावना बनी हुई है। रविवार सुबह करीब 8 बजे अचानक पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा खिसककर नीचे आ गिरा। कुछ ही पलों में विशाल चट्टानें और मलबा नीचे की ओर आया, जिसने रास्ते में आ रहे श्रद्धालुओं और दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आवाज़ इतनी तेज़ थी कि कुछ पल के लिए लगा मानो ज़मीन हिल गई हो। लोग इधर-उधर भागने लगे, लेकिन मलबा इतनी तेजी से आया कि कई लोग उसकी चपेट में आ गए।


रेस्क्यू ऑपरेशन

हादसे के तुरंत बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और पुलिस की संयुक्त टीमें मौके पर पहुँचीं। अब तक दर्जनों लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। घायलों को नज़दीकी कटरा और जम्मू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने कई घायलों की हालत नाज़ुक बताई है।

रेस्क्यू टीमों के सामने सबसे बड़ी चुनौती लगातार हो रही बारिश और ढलानों से गिरते पत्थर हैं। मशीनों की मदद से मलबा हटाया जा रहा है, लेकिन स्थिति अभी भी पूरी तरह नियंत्रण में नहीं है।


प्रभावित जनजीवन

भूस्खलन का असर केवल हादसे तक ही सीमित नहीं रहा।

  • रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए 58 ट्रेनों को रद्द कर दिया।

  • राष्ट्रीय राजमार्ग के कई हिस्सों पर ट्रैफिक रोक दिया गया है।

  • प्रशासन ने आपातकालीन स्थिति को देखते हुए स्कूल और कॉलेज बंद रखने का आदेश जारी किया है।

हजारों तीर्थयात्रियों को अपनी यात्रा बीच में ही रोकनी पड़ी। कटरा के होटल और धर्मशालाएँ यात्रियों से भर गई हैं।


चश्मदीदों की भयावह दास्तान

घटना से बच निकले लोगों के बयान दिल दहला देने वाले हैं। एक श्रद्धालु ने बताया:
"हम दर्शन के लिए पैदल जा रहे थे कि अचानक तेज़ धमाके जैसी आवाज़ आई। कुछ ही सेकंड में धूल और पत्थरों का गुबार छा गया। लोग चीख-पुकार मचाते हुए इधर-उधर भागने लगे। हमने कई लोगों को अपने सामने दबते देखा।"

एक स्थानीय दुकानदार ने कहा कि मलबा इतनी तेजी से आया कि दुकानें पलभर में मलबे के ढेर में बदल गईं।


सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मृतकों के परिजनों के लिए मुआवज़ा और घायलों के लिए मुफ्त इलाज की घोषणा की गई है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने हादसे पर शोक जताते हुए प्रशासन को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। केंद्र सरकार ने अतिरिक्त एनडीआरएफ टीमों को मौके पर भेजने का भी ऐलान किया है।


विशेषज्ञों की राय

भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और ढलानों पर निर्माण गतिविधियाँ इस तरह के भूस्खलनों को और खतरनाक बना देती हैं।
उनके अनुसार, भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए:

  1. पहाड़ी इलाकों में अनियंत्रित निर्माण पर रोक लगानी होगी।

  2. भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों की लगातार निगरानी करनी होगी।

  3. यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करना होगा।


आगे की राह

यह हादसा न केवल एक प्राकृतिक आपदा है बल्कि भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की गंभीर कमी को भी उजागर करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि वैष्णो देवी जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा मानकों, तकनीकी निगरानी और आपदा प्रबंधन योजनाओं को और सख़्ती से लागू करने की ज़रूरत है।


श्रद्धांजलि और शोक

देशभर से श्रद्धालुओं और आम नागरिकों ने हादसे पर शोक व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर मृतकों को श्रद्धांजलि और पीड़ित परिवारों के लिए दुआएँ दी जा रही हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post